आते हैं हर पल और चले जाते हैं...
कुछ उड़ जाते हैं हँसी में,
कुछ निकल पड़ते हैं बातों की अनजान गली में,
और कुछ डूब जाते हैं आंसुओं की नमी में।
बिल्कुल जैसे sublime होना पढ़ा था chemistry में...
लेकिन कभी कभी रह जाते हैं पीछे कुछ कतरे उनके अनकहे से,
फिर शुरू होती हैं दिल और दिमाग की गुफ्तगू इन कतरों के सहारे।
अगर वो होती है nursery में बैठे बच्चों की बातों सी,
तो लगती है प्यारी बहुत।
पर अगर वही दिल-ओ-दिमाग की गुफ्तगू
बन जाये चौराहे से गुज़रती गाड़ियों के शोर सी,
तो फिर चुभती है बहुत ...
PS: Got some of them during a short while..
1) a positive khayal.. i m not the most angry/ impatient/ arrogant/unreasonable being on planet earth.
God has made people worse than me.. :)
2) a negative khayal... i m good for nothing.. :(
3) and a neutral khayal... studying for GBM always leads to some such weird thing.. :|
Wednesday, March 17, 2010
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8 comments:
very deeeeppp thought deep...(as ur name is)...
i didn't xpctd 2nd PS to hear from u atleast.....
this reminds me of these lines i heard long long back ...
लम्हा लम्हा तरसे जिस लम्हे के लिये ...
वो लम्हा भी बस आया एक लम्हे के लिये ||
good thoughts but I bet you can do better at poetry. Sublimation in chemistry part is good.
BTW, positive aur negative khayal, dono hi galat hain n third one hamesha sahi hota hai.
very well put...both poem n ps....
nice..really Deep thinking !!!
आना और जाना ख़यालों की आदत है..
ख़याल तो होते ही है नादाँ ..
वैसे हमपर क्या गुजरती है
वह इससे अनजान..
why is that ur positive thought sounds negative to me :) ok i am not being cynacal the positive thing is u know where u stand LOL
I like your blog subheader. :D
**Let your heart guide you......It whispers so listen closely**
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