१.
बड़े confusion में है ये मन।
कभी लगता है कि रात की घड़ी का कांटा बहुत तेज़ दौड़ रहा है,
इतना कि उसने एक चक्कर पूरा भी कर लिया,
और हम खड़े देखते ही रह गए।
कभी लगता है कि और तेज़ क्यूँ नहीं दौड़ रही ये रात,
बड़ा मुश्किल होता है अकेले इतना लम्बा सफ़र तय कर पाना।
२.
इतने दिन हो गए,
फिर भी तुम मेरे छोटे से मन को नहीं समझ पाए।
हर उम्मीद तुम से शुरू हो के, तुम पर ही ख़त्म होती है।
बहुत चुभता है, जब ये ख्याल आता है..
तुम्हारी जगह किसी और का सहारा लेना पड़ा मेरी बातों को।
PS: Don't remember when and what made me write these.. It is always so stupid, that after a period of time it becomes difficult to find the relevance of something which you once wrote from bottom of your heart..
बड़े confusion में है ये मन।
कभी लगता है कि रात की घड़ी का कांटा बहुत तेज़ दौड़ रहा है,
इतना कि उसने एक चक्कर पूरा भी कर लिया,
और हम खड़े देखते ही रह गए।
कभी लगता है कि और तेज़ क्यूँ नहीं दौड़ रही ये रात,
बड़ा मुश्किल होता है अकेले इतना लम्बा सफ़र तय कर पाना।
२.
इतने दिन हो गए,
फिर भी तुम मेरे छोटे से मन को नहीं समझ पाए।
हर उम्मीद तुम से शुरू हो के, तुम पर ही ख़त्म होती है।
बहुत चुभता है, जब ये ख्याल आता है..
तुम्हारी जगह किसी और का सहारा लेना पड़ा मेरी बातों को।
PS: Don't remember when and what made me write these.. It is always so stupid, that after a period of time it becomes difficult to find the relevance of something which you once wrote from bottom of your heart..
7 comments:
बहुत खूब...!!!
Fully agree with the PS part...happens a lot with me...
:-o :) :)
The punch in the final line in both... :) :)
:) :) loved the second one ..
Gems indeed :)
Wow! Why did you stop writing?
I guess one should keep revisiting one's blog and rereading comments, it inspires you to check if something has happened on the other side of the virtual world ya wahan bhi wohi khamoshi hai jo zindagi ki aapa dhaapi ka result hoti hai. Lagta hai aap bhi usi samasya se jhoonjh rahi hain ;)
You should take time out for writing and write more often :)
Beautiful! Really really nice...and straight from the heart...
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