१.
दिल के दिये में उम्मीद का तेल ख़त्म ही नहीं होता ।
डर लगता है इसकी लौ तुम्हे जला न दे।
पर अगर किसी दिन बाती ही इस तेल में डूब गयी तो ...
२.
थक गए हैं अब कदम।
कुछ देर पहले एक आवाज़ आई थी, लगा की बस आ रही है।
बहुत राहत मिली थी दिल को,
कितनी देर हम बस स्टैंड पर खड़े इंतज़ार करते रहे।
नहीं आई वो।
फिर चल पड़े हैं...
फर्क सिर्फ इतना है कि अब अँधेरा छा गया है,
उम्मीद का सूरज जो ढल गया कुछ देर पहले।
PS: Few random archived compositions from my mobile
दिल के दिये में उम्मीद का तेल ख़त्म ही नहीं होता ।
डर लगता है इसकी लौ तुम्हे जला न दे।
पर अगर किसी दिन बाती ही इस तेल में डूब गयी तो ...
२.
थक गए हैं अब कदम।
कुछ देर पहले एक आवाज़ आई थी, लगा की बस आ रही है।
बहुत राहत मिली थी दिल को,
कितनी देर हम बस स्टैंड पर खड़े इंतज़ार करते रहे।
नहीं आई वो।
फिर चल पड़े हैं...
फर्क सिर्फ इतना है कि अब अँधेरा छा गया है,
उम्मीद का सूरज जो ढल गया कुछ देर पहले।
PS: Few random archived compositions from my mobile
6 comments:
too good...
loved the second one... :)
nice.. loved the post!
meaningful and touching :)
:O
जब कोई बिन बात ही
लिखने लगे कविता
या कविता निकलने लगे
बिखरे खयालों से
तो समझना कि गहरी
कोई घात ज़रूर है
कि मन में बिखरी
कोई बात ज़रूर है
:O
जब कोई बिन बात ही
लिखने लगे कविता
या कविता निकलने लगे
बिखरे खयालों से
तो समझना कि गहरी
कोई घात ज़रूर है
कि मन में बिखरी
कोई बात ज़रूर है
@ CYNOSURE & Meghana & Richa - Thanks :)
@ Sid - Beautiful lines.. you wrote?
Post a Comment