Let your heart guide you......It whispers so listen closely

Monday, December 30, 2013

पुराने संदूक में मिले कुछ लफ्ज़

१. 
बड़े confusion में है ये मन। 

कभी लगता है कि रात की घड़ी का कांटा बहुत तेज़ दौड़ रहा है,
इतना कि उसने एक चक्कर पूरा भी कर लिया, 
और हम खड़े देखते ही रह गए। 

कभी लगता है कि और तेज़ क्यूँ नहीं दौड़ रही ये रात,
बड़ा मुश्किल होता है अकेले इतना लम्बा सफ़र तय कर पाना।


२. 
इतने दिन हो गए, 
फिर भी तुम मेरे छोटे से मन को नहीं समझ पाए। 
हर उम्मीद तुम से शुरू हो के, तुम पर ही ख़त्म होती है। 
बहुत चुभता है, जब ये ख्याल आता है..
तुम्हारी जगह किसी और का सहारा लेना पड़ा मेरी बातों को। 


PS: Don't remember when and what made me write these.. It is always so stupid, that after a period of time it becomes difficult to find the relevance of something which you once wrote from bottom of your heart..

Tuesday, December 24, 2013

a metaphor

Fighting against one's destiny is so much like betting against an infinitely rich adversary, with p < 0.5.